आज फाग के मधुर क्षणों में
चंदन और अबीर झर रहा अंगना में चहुँ ओर
आज फाग के मधुर क्षणों में तन मन हम रंग लें
तन मन हम रंग लें
टेसू के ले फूल तनिक सा उनमें केसर घोल
गली गली ब्रजधाम बना दें रसिया आल्हा बोल
ऐसा उड़े गुलाल लाज से नत हो अरुणिम भोर
आज फाग के मधुर क्षणों में --------
भावों की पिचकारी छूटे बरसें गीले गीत
आज समय है पुनै: मना लें रूठे मन के मीत
और गिराए मत जल सीकर किसी नयन की कोर
आज फाग के मधुर क्षणों में--------
फागुन की दस्तक सुन पाए हर योवन हर द्वार
पुरवैया ले संदेसा पहुंचे सागर के पार्
झरे गंध बिखरे फूलों की बंधे प्रणय की डोर
आज फाग के मधुर क्षणों में --------
सृजन तूलिका से अंकित हों अगणित चित्र महान
व्याकुल मन का मृग सुन पाए मुरली की मृदु तान
इंद्र धनुष के रंग बिखेरे चूनर का हर छोर
आज फाग के मधुर क्षणों में ------------
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