Monday, August 16, 2010

गुज़रे हुए दिन

गुज़रे हुये दिनों की अब बात कया करें 
      कुछ रो के बीते ओर कुछ हंस कर गुज़ारे हैं 
जीना भी आगया हमें मरना भी आगया 
       गुल भी हमें अजीज़ हैं काँटें भी प्यारे हैं 
उसकी आवाज़  आती रही दिल के आस पास 
    करते हुए यूं गुफ्तगू रस्ते गुज़ारे हैं
कहते हैं मौत से भी है इन्तेज़ार  बदतर 
हम नें तो इन्तेज़ार में सब दिन गुजारें हैं

2 comments:

  1. Gujre hue din jab yaad aate hain to aakhe nam holne lagti hain.khushi me bhi gum me bhi.. bahut khub ...exellent topic

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  2. biiti so to baat gai beeti so parchchai hai
    parchchi se naata todo naval rasmi se naata jodo

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