बारिशों में भीग कर अक्सर
अपने पर को निचोड़ते पंछी
उनको भाता न कुछ भी अपने सिवा
बेसबब शीशे तोड़ते पंछी
आंधिओं से गिरे दरख्तों से
तिनका तिनका टटोलते पंछी
बच्चे जब दूर देस जाते हैं
सहम कर कुछ ना बोलते पंछी
तुम बहारों के गीत गाओ सुमन
हर सुबह शाम बोलते पंछी
Bahut hi sunder kavita hain.. mujhe padhne ka mauwka mil raha hain yehi mera shawobgya hain
ReplyDeletethank you
aapkaa bahut bahut dhanywaad
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