अगर हो साफ़ तो आईना दिखाओ मुझे
किसी गरीब के घर का दिया हूँ मध्हम सा
ज़रा उस तेज हवा से कहो बुझाओ मुझे
में मुफलिसी का हूँ आंसू मेरा वजूद ही क्या
कहो ज़रदार से अब रेत पर गिराओ मुझे
में पत्थरों में रह कर हूँ बन गया पत्थर
सुमन दुनिया से कहो देर तक रुलाये मुझे
बहुत पसन्द आया
ReplyDeleteहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
Bahut sunder
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