Meri Teri Apni Baat
Thursday, December 30, 2010
ज़िन्दगी तुझ को
जिन्दगी तुझ को क्यूं मनाते हैं
रोज़ दीवाने बन ही जाते हैं
कुछ तो दुश्मन मेरे पुराने हैं
और कुछ दोस्त चल के आते हैं
कोई शम्मा जला तो दो यारब
इस गली में अंधे आते हैं
पत्थरों के शहर रह के सुमन
बेवजह आईना दिखाते हैं
2 comments:
srijan
December 30, 2010 at 7:57 AM
jindagi tujh ko kyo manaate hai ...
bahut sunder
Reply
Delete
Replies
Reply
Unknown
December 30, 2010 at 6:30 PM
thought-provoking words !!
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
jindagi tujh ko kyo manaate hai ...
ReplyDeletebahut sunder
thought-provoking words !!
ReplyDelete