Saturday, December 25, 2010

प्यार के किस्से

प्यार के किस्से बहुत पुराने हैं
    फिर भी लगते ये किओं सुहाने हैं
आज तक ये पता न लग पाया
         कौन से अपने आशियानें हैं
जिन्दगी चार पल कि जी तो लें
        चंद लम्हों के ये खजाने हैं
मुस्कुराते जहां हैं कांटे भी
            बस वही सुमन के ठिकाने हैं

2 comments:

  1. wahh.. bahut sunder panktia hain

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  2. Pyar ke kisa naye ho ya purana
    bus ana chahiye nibhana
    yeh to sSuman ki kashish hai
    jo kanton ko bhi aya muskrana

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